उससे डरते हैं सब,
कांप जाते हैं
जब उसका फोन आता है —
‘सर, सर, यस सर, ओके सर
सर सर’
जाने क्यों लोग इस कदर बिछ जाते हैं
चटाई की तरह
ताकि दूसरे उनपर पैर पोंछते हुए निकल सकें
कैसे? क्यों? कहाँ से सीखा उन्होंने ये हुनर?
जानता हूँ कि रीढ़ की हड्डी का न होना —
एक सामान्य लोकव्यवस्था है, शिष्टाचार है
प्रोफेशनलिस्म का एक बेहद संजीदा अंदाज है।
नौकरी में नौकर हो जाना
नौकरी के सत्व को समझना है
उसे अंगीकार करना है।
लेकिन फिर भी
मैंने उसे ‘सर’ कहना छोड़ रखा है
बात होती है तो जानबूझकर ‘सर’ नहीं कहता
इतना क्यों किसी को सर पर चढ़ाना
‘गुड मॉर्निंग’ और ‘गुड ईव्निंग’ भी नहीं व्यर्थ करता मैं
इसलिए बता दूँ कि यह कल शाम की ही बात है
जब मैं और वो नीचे उतरने के लिए
संयोग से,
थर्ड फ्लोर पर लिफ्ट के सामने एक साथ पहुंचे
मैंने कुछ नहीं कहा और बटन दबाया,
और तब..
बस कुछ पल का श्रद्धा रहित सन्नाटा भी
इतना भारी हो गया उसके लिए
कि वो अपने फोन में झाँकते हुए
धीरे से सीढ़ियों की तरफ सरक लिया।